
बीते कुछ समय से मु’स्लिम समुदाय में शादियों का मुद्दा काफी चर्चा में हैं। कई मौलानाओं का कहना है कि आज कल जिस तरह से मु’स्लिम समुदाय में शादियों हो रही हैं वो बिकुल गल’त हैं। ट्रेंड को देखते हुए अब हर शादी में नाच गाना देखा जाता है, आ’तिश’बा’जी देखी जाती है। इस दौरान कई शादियों में दहेज भी देखा जाता है। जो इ’स्ला’म के मुताबिक बिलकुल गल’त है। मौलानाओं का मानना है कि ये पूरी तरह से गल’त है। इस पर रोक लगनी चाहिए। ऐसे में खबर है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मिर्ज़ापुर (Mirzapur) में इसको रोकने की शुरुआत करदी गई है।
बता दें कि मिर्ज़ापुर (Mirzapur) में मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मदरसा अरबिया में एक अहम बैठक हुई है। जिसमें फैसला लिया गया है कि अगर कोई का’जी इस तरह की शादी में निकाह पढ़वाता है तो उसको समाज से बहि’ष्कृत किया जाएगा। इस दौरान मरकजी सुन्नी जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना नज़म अली खा’न ने कहा कि “दहेज मांगने, कार्यक्रम में खड़े होकर खाना खिलाने, डीजे बजाने और शादी में आ’तिश’बा’जी करने वालों के खिला’फ आंदोलन की शुरुआत मिर्ज़ापुर से की जा रही है।”
नियम के मुताबिक अगर कोई काजी ऐसी शादी में पहुंच गया जहां नियमों का पालन नहीं हो रहा हो, तो वह बिना निकाह पढ़ाए वापस लौट आएगा। लेकिन सब कुछ जानते हुए भी कोई निकाह पढ़ा देता है तो उसको मु’स्लिम समाज से ब’हि’ष्कृत किया जाएगा। बता दें कि इसका मकसद सिर्फ ये ही है कि जो फि’जूल खर्च शादियों में होता है उसको बचाया जा सके। क्योंकि इ’स्ला’म के मुताबिक फि’जूल खर्च गल’त है।