
अक्सर शादियों में बैंड बाजा और नाच-गाना देखा जाता है। जिससे शादी की रौनक में चार चांद लग जाते हैं। लेकिन शायद अब आपको ये सब देखने को न मिले। खास तौर पर मु’स्लिम समुदाय की शादियों में। बता दें कि मध्य प्रदेश के जबलपुर में मु’स्लिम धर्मगुरू ने शादियों में हो रहे डांस और बैंड बाजों पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ये सब गल’त है। जिसके चलते अब इस पर रो’क लगाने का विचार चल रहा है। मु’स्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि महिला पुरूषों का शादियों में डांस करना शरिया कानू’न के हिसाब से गल’त है।
हाल ही में मध्य प्रदेश के जबलपुर में ध’र्मगु’रुओं ने बैठक कर इस पर पाबं’दी लगाने का फैसला लिया है। उनका कहना है कि शरिया कानू’न के तहत शादी विवाह सादगी के साथ किए जाने चाहिए। इस कानू’न के चलते परिवार के सभी लोग मौ’जूद रहें और दोनों पक्ष सहमति से परिजनों के साथ सहभोज कर शादी पूरी की जाए। उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों से शादियों में तरह तरह की चीज़ों का इस्ते’माल हो रहा है। जिससे लाखों का ख’र्च हो जाता है। जो पूरी तरह से गल’त है।
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मु’स्लिम धर्मगुरूओं का कहना है कि अगर ये फिजूल खर्च नहीं किया जाए तब भी शादी पूरी तरह से हो सकती है और जो ज्यादा पैसा शादी में न खर्च कर परिवार की संपत्ति को ब’चाया जा सकता है और उसको आने वाले समय में इस्ते’माल किया जा सकता है। डॉ. मौलाना मो. मुशाहिद रजा सिद्धीकी ने बताया कि “आज कल लोग एक दूसरे की हो’ड़ करने के लिए लोन लेकर शादी करते हैं। ताकि समाज में उनका रू’तबा बना रहे। इस रू’तबे के च’क्कर में घर का मु’खिया क’र्ज के बो’झ तले द’ब जाता है। जिसका पारिवारिक स्थिति पर काफी बु’रा असर पड़ता है”