सर्दी के अंधेरे को चीरती हुई लोहड़ी की आग पंजाब और उत्तर भारत की धरती को रोशन करती है! ये सिर्फ फसल कटने की खुशियां नहीं, बल्कि लंबे दिनों और उम्मीदों के उगने का जश्न है। मकर संक्रांति से ठीक पहले मनाई जाने वाली लोहड़ी, सूरज के पृथ्वी के सबसे करीब आने का भी प्रतीक है, मानो सर्दी का सितम पिघलकर नई शुरुआत की किरणें बिखेर रहा हो।
खेती, सूरज, इश्क़ का संगम! लोहड़ी 2024 का धमाका, जानिए क्यों मिस नहीं करना चाहिए?
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े
Join Now
इस साल 14 जनवरी को लोहड़ी की धूम देखने को मिलेगी। इतिहास और खेती इस त्योहार की रगों में दौड़ते हैं। पंजाब की मुख्य जाड़े की फसल, गेहूं, अक्टूबर में बोया जाता है और जनवरी में लहराता है। मार्च में इसकी कटाई होती है और लोहड़ी का जश्न परंपरागत रूप से रबी फसल की कटाई के बाद आता है।
तो आइए इस लोहड़ी को अलाव के पास नाचें, फसल की खुशियों में डूबें, सूरज के नए सफर का स्वागत करें और इतिहास के पन्नों में दर्ज वीरता को याद करें। लोहड़ी मुबारक!