14 मार्च तक रहेगी शिशिर ऋतु, ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास से जानें

हेमंत ऋतु खत्म होकर अब शिशिर ऋतु की शुरुआत 15 जनवरी से हो गई है। जो 14 मार्च तक रहेगी। इसके बाद बसंत ऋतु शुरू हो जाएगी। ठंड के मौसम के दो हिस्से होते हैं, हल्की गुलाबी ठंड वाला वक्त हेमंत ऋतु का होता है तो तेज ठंड शिशिर ऋतु के समय होती है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सर्दियों के बाद कड़क ठंड में पड़ने वाली ऋतु को शिशिर ऋतु कहा जाता है। हिंदू माह के अनुसार माघ और फाल्गुन का महीना शिशिर ऋतु में ही होता है। इन ऋतुओं के मुताबिक ही हमारी परंपराएं बनी हुई हैं। धर्मग्रंथों में बताए व्रत-पर्व और परंपराएं ठंड को ध्यान में रख कर ही बनाए गए हैं। जो सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं। इस दौरान मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, तिल चतुर्थी, अमावस्या और पूर्णिमा पर्व मनाए जाते हैं। इन उत्सवों और त्योहारों की परंपराएं मौसम को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं।

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ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शिशिर ऋतु के दौरान सूर्य धनु, मकर और कुंभ राशियों में रहता है। मकर और कुंभ शनि की राशियां हैं। इस दौरान सूर्य दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर गति करता है। इस समय उत्तरायण का पर्व भी मनाया जाता है। इस बार शीत ऋतु की शुरुआत मूल नक्षत्र में हुई है। इस नक्षत्र के स्वामी केतु होने से देश के उत्तरी हिस्सों में मौसमी बदलाव होने की संभावना बन रही है। देश के कई हिस्सों में तेज ठंड और बर्फबारी होने की आशंका भी है।

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शीत ऋतु के दौरान अगहन और पौष महीना रहता है। इसलिए इस ऋतु में जरूरतमंद लोगों को वस्त्र और अन्नदान करने का बहुत महत्व होता है। शीत ऋतु के दौरान सूर्य पूजा का भी महत्व है। इस परंपरा को वैज्ञानिक नजरिये से देखा जाए तो इन दिनों में कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं। सूरज की किरणों में विटामिन डी होता है। इसलिए ठंड के दिनों में सुबह जल्दी धूप में यानी सूरज के सामने खड़े होकर पूजा की जाती है।

उत्तरायण में होती है शीत ऋतु
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शीत ऋतु के दौरान सूर्य, मकर और कुंभ राशियों में रहता है। शनि की राशियों में सूर्य के आ जाने से मौसम में रूखापन बढ़ जाता है। यह सूर्य का उत्तरायण काल होता है, इस दौरान शारीरिक ताकत में भी कमी आने लगती है। इस बार शीत ऋतु की शुरुआत पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में हुई है। इस नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति होने से देश के उत्तरी हिस्सों में मौसमी बदलाव होने की संभावना बन रही है। देश के कई हिस्सों में तेज ठंड और बर्फबारी होने की आशंका भी है।

सूर्य पूजा और दान का महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शिशिर ऋतु के दौरान पौष और माघ महीना रहता है। इस समय ठंड अपने चरम पर होती है, इस दौरान सूर्य पूजा का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। साथ ही इस समय दान करने की परंपरा भी हमारे पूर्वजों ने बनाई है। इस समय तिल-गुड़ से बने व्यंजन विशेष तौर पर खाए और दान किए जाते हैं। इस परंपरा को वैज्ञानिक नजरिये से देखा जाए तो इन दिनों में कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं। सूरज की किरणों में विटामिन डी होता है। इसलिए ठंड के दिनों में सुबह जल्दी धूप में यानी सूरज के सामने खड़े होकर पूजा की जाती है।