हैदराबाद के टुकराम गेट की गलियों में, पड़ोसियों के बीच पनप रहे एक मामूली तकरार ने उस शाम एक खौफनाक मोड़ ले लिया। 23 वर्षीय अजय कांबले, जिंदगी के रंगीन सपनों को आँखों में समेटे युवा, एक भयानक विवाद में कभी वापस ना लौटने के सफर पर विदा हो गया। वजह थी बस कच्चे चिकन का एक टुकड़ा!
बिरयानी के शहर में खून का छींटा! कच्चे चिकन की सलाह पड़ी भारी, पड़ोसी ने किया बेरहमी से कत्ल !!
अजय की पत्नी प्रियंका ने पड़ोसी श्रीनिवास चार्य को कच्चा चिकन खाते देख उससे इसे अच्छे से पकाने का सुझाव दिया। शायद प्रियंका को ये आभास नहीं था कि ये साधारण सलाह एक घातक तूफान को जन्म देगी। चार्य के क्रोध का पहाड़ टूट पड़ा, जो अपशब्दों की बौछार और प्रियंका पर हिंसक हमले में बदल गया। अजय, अपनी प्रियतम की चीख सुनकर, उसे बचाने के लिए दौड़ा। यहीं दोनों पड़ोसियों के बीच हाथापाई हुई, जिसके भयानक अंत में चार्य के हाथों से निकला चाकू अजय के सीने में जा घुसा।
प्रियंका ने अपने पति को बचाने की कोशिश में खुद को भी चोटिल कर लिया, उसके हाथ की उंगली कट गई। पड़ोसियों की दहशत भरी चीखें गांधी अस्पताल तक पहुंचीं, जहाँ अजय को भर्ती कराया गया। लेकिन, नियति का खेल कुछ और ही था। डॉक्टरों ने उसे बचाने की हार मान ली, और इस तरह एक छोटे से विवाद ने एक खुशहाल परिवार को हमेशा के लिए अधूरा बना दिया।
श्रीनिवास चार्य को अब इस नृशंस कृत्य का फल भुगतना पड़ेगा। हत्या, हत्या के प्रयास, अपमान और जातिगत आधार पर अपमान सहित भारतीय दंड संहिता की कठोर धाराओं के तहत उसे सजा का सामना करना होगा। लेकिन क्या कोई सजा उस मासूम जान की भरपाई कर सकती है, जो एक पल में छिन ली गई?
इस घटना को पढ़कर रूह काँप जाती है, और ये सवाल हर किसी के मन में गूंजता है – पड़ोसियों के बीच इतनी नफरत क्यों? एक बुनियादी सी बात को लेकर इतना खतरनाक झगड़ा कैसे हो सकता है? क्या हमने सभ्यता और मानवता का रास्ता भुला दिया है?
अजय की दुखद कहानी हमें सोचने के लिए मजबूर करती है कि कैसे छोटे-छोटे मतभेदों को बातचीत और समझदारी से सुलझाया जा सकता है। क्रोध और हिंसा कभी समस्या का हल नहीं हो सकते, बल्कि वे और गहरे घाव देते हैं। आइए, हम सब मिलकर संवाद का रास्ता अपनाएं और अपने आस-पास को प्रेम और शांति का वातावरण बनाएं।